बिहार डी.एल.एड. (सामान्य हिन्दी) अलंकार

बिहार डी.एल.एड. (सामान्य हिन्दी) अलंकार

निर्देश-(प्रश्न 1–60 ) : नीचे के प्रश्न में पद्यांशों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। प्रत्येक में प्रस्फुटित होने वाले अलंकार के चार विकल्प दिए गए हैं, सही विकल्प का चयन करना है।

1. जो रहीम कुल दीप की, कुल कपूत की सोय ।
बारे उजियारो करै, बढ़े अंधेरौ होय ।
(A) यमक
(B) श्लेष
(C) उपमा
(D) दृष्टांत
2. लाल देह लाली लसै, अरुधरी लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव-दलन, जय-जय जय कपिसूर ।
(A) अनुप्रास
(B) यमक
(C) रूपकातिशयोक्ति
(D) पुनरुक्ति प्रकाश
3. लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल,
लाली देखन मो गई, मैं भी हो गई लाल ।
(A) यमक
(B) तद्रुण
(C) उपमा
(D) मीलित
4. मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै
जैसे उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पै आवे ।
(A) उपमा
(B) श्लेष
(C) उदाहरण
(D) रूपक
5. अद्भुत एक अनुपम बाग,
जुगल कमल पर गजवर क्रीड़त है ता पर सिंह करत अनुराग ।
(A) छेकानुप्रास
(B) व्यतिरेक
(C) रूपकातिशयोक्ति
(D) निदर्शना
6. कनक – कनक तें सौ गुनी : मादकता अधिकाय ।
या खाए बैरात नर, वा पाये बौराय ॥
(A) रूपक
(B) श्लेष
(C) असंगति
(D) यमक
7. किधौं सूर को सर लगौ, किधौं सूर की पीर ।
किधौं सूर को सर लग्यौ, तन मन धुनत सरीर ।
(A) संदेह
(B) भ्रान्तिमान
(C) विभावना
(D) यथासंख्य
8. हंसिहि उठाई, फलाउबु गालू ।
कबहि न होई, एक संग भुआह ।
(A) वक्रोक्ति
(B) अर्थान्तरन्यास
(C) विरोधाभास
(D) अनुप्रास
9. मखमल के झूले पड़े हाथी – सा टीला ।
(A) उल्लेख
(B) उत्प्रेक्षा
(C) उपमा
(D) रूपक
10. तू रूप है किरण में, सौंदर्य है सुमन में ।
तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में ।
(A) रूपक
(B) उल्लेख
(C) अतिशयोक्ति
(D) तद्रुण
11. बादल से काले-काले केसों को देख निराले ।
नाचा करते हैं हरदम पालतू मोर मतबाले ।
(A) अनुप्रास
(B) संदेह
(C) श्लेष
(D) भ्रान्तिमान
12. डरे कुटिल नृप प्रभुहि निहारी, मनहुँ भयानकं मूरति भारी । 
(A) अतिशयोक्ति
(B) उत्प्रेक्षा
(C) श्लेष
(D) उपमा
13. नील परिधान बीच सुकुमार, खुल रहा मृदुल अधखिला अंग ।
खिला हो ज्यों बिजली का फूल, मेध बन बीच गुलाबी रंग ।
(A) रूपक
(B) उपमा
(C) उत्प्रेक्षा
(D) अतिशयोक्ति
14. और बरसने से पहले ही उड़ जाते हैं, पानी के घन ।
हृदय समर्पण से पहले ही आँसू ही गिर जाता है मन ।
(A) अतिशयोक्ति
(B) उत्प्रेक्षा
(C) उपमा
(D) विभावना
15. सूर – सूर तुलसी शशी उड्गन केसवदास,
अबके कवि खद्योत सम, जहँ तहँ करत प्रकास ।
(A) श्लेष
(B) पुनरुक्ति प्रकाश
(C) उत्प्रेक्षा
(D) यमक
16. तल मध्य अनल स्फोट से भूकम्प होता है जहाँ ।
होते विकपित से नहीं क्या अचल भूधर भी वहाँ ।
(A) वक्रोक्ति
(B) पुनरुक्तिवदाभास
(C) उपमा
(D) श्लेष
17. जो शस्त्र शत शत शत्रुओं के सहन करते थे कड़े ।
वे पार्थ ही इस शोक के आघात से तब गिर पड़े ।
(A) वीप्सा
(B) पुनरुक्ति प्रकाश
(C) अतिश्योक्ति
(D) उदाहरण
18. राम कहत चलु, राम कहत चलु जाम कहत चलु भाई ।
(A) वीप्सा
(B) पुनरुक्ति प्रकाश
(C) यमक
(D) पुनरुक्तिवदाभास
19. विपुल धन अनेकों रत्न हो साथ लाये ।
प्रियतम, बतला के लाल मेरा कहाँ है ?
(A) गृढ़ोत्तर
(B) वीप्सा
(C) श्लेष
(D) वक्रोक्ति
20. कहाँ भिखारी गयो, वहाँ ते, करै जो तुव प्रतिपालौ ?
होगो वहाँ जाय किन देखो बलि पै करो कसालो ।
(A) गूढोत्तर
(B) वक्रोक्ति
(C) श्लेष
(D) वीप्सा
21. उस काल दोनों में परस्पर युद्ध वह ऐसा हुआ ।
है योग्य बस कहना यही अद्भूत वही वैसा हुआ ।।
(A) अतिशयोक्ति
(B) परिसंख्या
(C) उपमा
(D) अनन्वय
22. राव भावसिंह जू के दान की बड़ाई देखि,
कहा कामधेनू है ? कछू न सुरतरू है ।
(A) प्रतीप
(B) वक्रोक्ति
(C) अतिशयोक्ति
(D) व्यतिरेक
23. संत हृदय नवनीत समाना। कहा कविन, पै कहा न आना ।
निज परिताप द्रवै नवीनता । परदुःख द्रवै संत सुपुनीता ॥
(A) व्यतिरेक
(B) प्रतीप
(C) उत्प्रेक्षा
(D) अतिशयोक्ति
24. उदित उदय -गिरि मंच, पर रघुबर बाल पतंग |
बिकसे संत – सरोज सब, हरषे लोचन – भृंग ॥
(A) श्लेष
(B) उत्प्रेक्षा
(C) रूपक
(D) प्रतीप
25. निश्चय ही पिनाक ने स्व- पाप नष्ट करने को ।
राम-कर तीर्थ या शरीर निज छोड़ा है।
(A) उत्प्रेक्षा
(B) उपमा
(C) अतिशयोक्ति
(D) रूपक
26. सघन कुंज छाया सुखद सीतल मंद समीर ।
मन है जात अजौ वहै वा जमुना के तीर ।
(A) उत्प्रेक्षा
(B) अनुप्रास
(C) स्मरण
(D) रूपक
27. कछु न परिच्छा लीन्ह गुसाई ।
कीन्ह प्रनामु तुम्हारिहि नाई ।
(A) अपह्नुति
(B) निषेध
(C) रूपक
(D) उत्प्रेक्षा
28. हैं गर्जते घन नहीं, बजते नगाड़े ।
विद्युल्लता चमकी न, कृपाण जाल से । 
(A) उपमा
(B) उत्प्रेक्षा
(C) अपह्नुति
(D) रूपक
29. कपि करि हृदयँ विचारि, दीन मुद्रिका डारि तब,
जनु असोक अंगार, सीय हरषि उठि कर गहयो ।
(A) उत्प्रेक्षा
(B) तद्रुण
(C) भ्रान्तिमान
(D) संदेह
30. दायाँ हाथ लिए था सुरभित चित्र विचित्र सुमनमाला ।
टाँगा धनुष कि काम लता पर मनसिज ने झूला डाला ।
(A) संदेह
(B) भ्रान्तिमान
(C) उपमा
(D) रूपक
31. सुषमा उसी की अवलोक के सुधाकर में,
रूप- सुधा पीकर चकोर न अधाते हैं ।
घन की घटा में नव निरख उसी की छटा,
मंजुल मयूर होते मोद मदमाते हैं ।
(A) उपमा
(B) भ्रान्तिमान
(C) उल्लेख
(D) उत्प्रेक्षा
32. तू, ज्ञान हिन्दुओं में, ईमान मुसलिमों में, 
तू प्रेम क्रिश्चयन में, है सत्य जू सुजान में ।
(A) परिसंख्या
(B) भ्रान्तिमान
(C) उत्प्रेक्षा
(D) उल्लेख
33. घटने पर भी सज्जन का है प्रेम नहीं फीका होता ।
घटने पर भी लौह रंगा कपड़ा न चटक अपनी खोता ।
(A) दृष्टांत
(B) उदाहरण
(C) निदर्शना
(D) प्रतिवस्तुपमा
34. रहिमन अँसुवा नयन ढरि, जिय-दुख प्रकट करेह ।
जाहि निकारो गेह तें, कस न भेद कहि देई ?
(A) दृष्टान्त
(B) उदाहरण
(C) निदर्शना
(D) प्रतिवस्तुपमा
35. वह पांडुवंश – प्रदीप यों शोभित उस काल में ।
सुन्दर – सुमन ज्यों पड़ गया हो कंटकों के जाल में ।
(A) दृषांत
(B) उदाहरण
(C) निदर्शना
(D) प्रतिवस्तुपमा
36. राम सैल सोभा निरखि भरत हृदयं अति प्रेम,
तापस ताप फल पाह जिमि सुखी सिराने नेम ।
(A) दृष्टान्त
(B) उदाहरण
(C) निदर्शना
(D) प्रतिवस्तुपमा
37. जंग जीतना तो चाहते हैं तुम से बैर बढ़ाकर ।
जीवित रहने की इच्छा वे करते हैं विष खाकर ।
(A) दृष्टांत
(B) उदाहरण
(C) निदर्शना
(D) प्रतिवस्तुपमा
38. सुनत पथिक मुँह माह नित चलैं तुवैं डहि गाम ।
बिनु बूझें बिनु ही कहैं जियत बिचारी बाम ।।
(A) अतिशयोक्ति
(B) अत्युक्ति
(C) विभावना
(D) विषम
39. कनक-लता पर चन्द्रमा धरे धनुष है बान ।
(A) उत्प्रेक्षा
(B) अत्युक्ति
(C) रूपकातिशयोक्ति
(D) रूपक
40. अवलोकनि बोलनि हँसनि डोलनि और और ।
आवनि मृदु गावनि सबै और बाके तौर ।
(A) रूपकातिशयोक्ति
(B) भेदकातिशयोक्ति
(C) चपलातिशयोक्ति
(D) सम्बन्धातिशयोक्ति
41. न्यारी रीति देखी भूतल पै शिवराज की ।  
(A) अनन्वय
(B) भेदकातिशयोक्ति
(C) असम्बन्धातिशयोक्ति
(D) अत्युक्ति
42. दोनों तीखे तुरग उचके और उड़े यान को ले ।
(A) सम्बन्धातिशयोक्ति
(B) अत्युक्ति
(C) भेदकातिशयोक्ति
(D) उत्प्रेक्षा
43. म्यान से निकलते तुम्हारी तलवार देखि,
शत्रु सब ढेर हो गये तुरंत ही वहाँ ।
(A) अत्युक्ति
(B) सम्बन्धातिशयोक्ति
(C) चपलातिशयोक्ति
(D) भेदकातिशयोक्ति
44. तव सिव तीसर नयन उधारा ।
चितवन काम भयउ जरि छारा ।
(A) चपलातिशयोक्ति
(B) विभावना
(C) सम्बन्धातिशयोक्ति
(D) श्लेष
45. जासु डर कहँ डर होई ।
(A) श्लेष
(B) यमक
(C) अत्युक्ति
(D) अतिशयोक्ति
46. राम भजन बिनु मिटहि न कामा ।
थल बिहीन तरु कबहुँ कि जामा ?
(A) दुष्टांत
(B) अर्थान्तरन्यास
(C) उदाहरण
(D) निदर्शना
47. चन्द्र बिम्ब पूरन भये क्रूर केतु हठ दाप ।
बल सौ करी है ग्रास यहि जेहि बुध रच्छत आप ।
(A) समासोक्ति
(B) दृष्टांत
(C) उदाहरण
(D) अन्योक्ति
48. तन चितउर मन राज कीन्हा । 
हिय सिंहल बुधि पदमिनि चीन्हा ।
(A) समासोक्ति
(B) अन्योक्ति
(C) रूपक
(D) दृष्टांत
49. दया की जल-धारा बरसा कर भूतल पर,
घनश्याम राम ताप शांत कर देखेंगे ।
(A) परिकरांकुर
(B) विरोधाभास
(C) परिकर
(D) अन्योक्ति
50. तुलसीदास भव – व्याल ग्रसित तब सरन उरग-रिपु-गामी
(A) परिकर
(B) परिकरांकुर
(C) रूपक
(D) उत्प्रेक्षा
51. काले कुत्सित कीट का कुसुम में कोई नहीं काम था ।
काँटे से कमनीयता कमल में क्या है न कोई कमी ?
(A) परिकर
(B) परिकरांकुर
(C) रूपक
(D) विषम
52. बूढ़े बाबा नेत्रों में लगाकर दंत मंजन औ ।
दाँतों में सुरमा चले हैं व्याह करने को ।
(A) विषम
(B) असंगति
(C) विरोधाभास
(D) विशेषोक्ति
53. रूप- सुधा पान से न नेक भी हुई है कम ।
प्रत्युत हुई है तीव्र कैसे यह प्यास है। 
(A) विशेषोक्ति
(B) विरोधाभास
(C) विभावना
(D) असंगति
54. पान मैं न खाती कभी तो भी ये अधर मेरे
लाल-लाल होते जा रहे हैं क्यों प्रबाल से ?
(A) रूपक
(B) विभावना
(C) विरोधाभास
(D) विषम
55. दमक रंग भये हाथ मजीठी ।
मुकुता लेऊँ पै घुँघुयी दीठी ।
(A) विरोधाभास
(B) तगुण
(C) असंगति
(D) अतिशयोक्ति
56. क्यारी करै कपूर की मृगमद विरवा बंध ।
सर्वसुधा सींचे तऊ, हींग न होय सुगंध ।
(A) अतिशयोक्ति
(B) अतगुण
(C) विभावना
(D) विषम
57. अधर धरत हरि के परत, ओठ दीठि परजोति ।
हरित बाँस की बाँसुरी, इन्द्रधनुष – रंग होति ।
(A) तगुण
(B) मीलित
(C) उन्मीलित
(D) सम्बन्धातिशयोक्ति
58. सरद चाँदनी में प्रगट होय न लिय के अंग ।
सुनत मंजू मंजीर ध्वनि, राखी न छाँड़त संग ।
(A) मीलित
(B) उन्मीलित
(C) तगुण
(D) भ्रांतिमान
59. बारन बन बनी बानक अनेक आई ।
झनक मनक बेरी जनक नरिन्द की । 
(A) अनुप्रास
(B) पदमैत्री
(C) श्लेष
(D) यमक
60. लखत कनखियन चखत नीर मृग बाघ परस्पर ।
भाजत झपटत बनत पैन तजि नीर सुखर बर ।
(A) यथासंख्य ( क्रम)
(B) असंगति
(C) तगुण
(D) असंगति
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