भारत की वर्ग रचना में जाति की क्या भूमिका है?

भारत की वर्ग रचना में जाति की क्या भूमिका है?

अथवा

भारतीय उच्च, मध्यम एवं निम्न वर्गों में सामान्यतया जातियों की उपस्थिति दर्शाते हुए आधुनिक समाज में जाति आधारित वर्ग संरचना का टूटना दिखाते लिखें।
उत्तर- भारत की वर्ग रचना में जाति का महत्वपूर्ण योगदान है। सामान्यतः ‘वर्ग’ जाति आधारित ही हैं। ग्रामीण भारत में अभी भी उच्च वर्गों में सिर्फ उच्च जाति के लोग ही हैं। सामान्यतः ये अधिक सुख-सुविधाओं का उपभोग करते हुए समाज पर दबदबा रखते हैं तथा इनकी राजनीतिक पहुंच भी काफी अधिक होती है। इस उच्च वर्ग में ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, आदि जातियां हैं।
भारत में पिछड़े वर्ग में मुख्यतः पिछड़ी जाति के लोग हैं और संख्या बल में ज्यादा होते हुए भी समाज पर इनका कम प्रभाव रहता है, क्योंकि ये आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर हैं। परंतु इधर कुछ वर्षों से खासकर 1977 के बाद इस वर्ग की राजनीतिक पहुंच बढ़ी है। इसके पीछे सामाजिक सुधार क्रांति है लेकिन इसका फायदा समाज के सभी पिछड़े वर्ग के लोगों को नहीं प्राप्त हो सका है और जो लोग राजनीति में हैं, उनके लिए इस वर्ग के विकास के स्थान पर अपना उत्थान ज्यादा महत्व रखता है।
अत्यंत पिछड़े वर्गों में एस.सी / एस.टी की प्रधानता देखने को मिलती है। इनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति काफी खराब कही जा सकती है। ये जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, कपड़ा, मकान आदि से भी महरूम रहते हैं। सरकार आरक्षण आदि के माध्यम से इनका उत्थान करना चाह रही है, लेकिन आरक्षण का फायदा वैसे लोगों को ही मिल रहा है जिन्हें इसकी आवश्यकता अपेक्षाकृत कम है। परन्तु कुछ राजनीतिक पार्टियां एवं जातीय संगठन अपने इन वर्गों के प्रतिनिधित्व करने का दावा करती हैं, परंतु वास्तव में इनके हित के लिए वे कुछ नहीं करतीं।
यद्यपि परंपरागत रूप से भारत के वर्ग संरचना में जाति की प्रधानता है लेकिन आज के भारत में यह बंधन काफी हद तक टूट रहा है। अब निचली कही जाने वाली जाति के लोग भी उच्च वर्ग एवं उच्च मध्यम वर्गों में अपनी योग्यता एवं क्षमता से पहुंच रहे हैं। कई डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक, आई.ए.एस., आई. पी. एस. आदि बन रहे हैं जिससे उनका वर्ग जाति आधारित नहीं, बल्कि पद, प्रतिष्ठा आधारित हो जाती है। इसमें सरकार की आरक्षण नीति भी सहायक है। आरक्षण नीति में व्यापक सुधार की आवश्यकता है, ताकि जरूरतमंद लोगों को ही फायदा मिले।
>  ग्रामीण भारत में
> उच्च वर्ग उच्च जाति के लोग
> निम्न वर्ग – निम्न जाति के लोग
> शहरी भारत की स्थिति कुछ अलग है। जाति का प्रभाव कुछ कम हुआ है, पद एवं संपत्ति के आधार पर उच्च, मध्यम एवं निम्न वर्गों का निर्धारण होता है।
> यद्यपि ग्रामीण भारत में भी जाति का प्रभाव कम होता जा रहा है परंतु राजनीतिक लाभ के लिए पार्टियां इसे बढ़ावा देती हैं।
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